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Class – 7th Hindi Chapter – 3
Full Question Answer
पाठ से –
1.निम्नलिखित पंक्तियों के भावार्थ स्पष्ट कीजिए –
चाह नहीं सम्राटों के शव पर
हे हरि, डाला जाऊँ।
चाह नहीं. देवों के सिर पर,
चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ।
उत्तर:
भावार्थ-हे प्रभु! हमारी अभिलाषा सम्राटों के मृत शरीर पर डाले जाने की नहीं और देवताओं के सिर पर चढ़कर अपने को भाग्यशाली मानें ऐसी भी हमारी अभिलाषा नहीं है।
2.प्रस्तुत पाठ में “मैं” शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है?
उत्तर:
पुष्य के लिए।
3. हे वनमाली, मुझे तोड़कर उस रास्ते पर फेंक देना, जिस रास्ते से होकर अपनी मातृभूमि पर शीश चढ़ाने वाले वीर जाते हैं।” उपर्युक्त भाव पाठ की जिन पंक्तियों के द्वारा अभिव्यक्ति होती है उन पंक्तियों को लिखिए।’
उत्तर: मुझे तोड़ लेना वनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक।
मातृभूमि पर शीश चढाने,
जिस पथ जाएँ वीर अनेक ।।
पुष्प की अभिलाषा
4. “भाग्य पर इठलाऊँ” का कौन-सा अर्थ ठीक लगता है ?
(क) भाग्य पर नाराज होना
(ख) भाग्य पर गर्व करना
(ग) भाग्य पर विश्वास न करना
पाठ से आगे –
1.बड़े-बड़े सम्मान पाने की बजाय पुष्प उस पथ पर फेंका जाना क्यों पसंद करता है, जिस पर मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले दीर जाते हैं ? अपना विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर: बड़े-बड़े सम्मान पाना या बड़ों से सम्मानित होना मानव धर्म है लेकिन सबसे बड़ा धर्म है-देश धर्म अर्थात् मातृभूमि के प्रति धर्म का पालन करना । मातृभूमि की रक्षा करना सबसे बड़ा धर्म है। अतः पुष्प को चाह है कि-यदि मैं अपनी मातृभूमि के रक्षक वीरों के पैर को कुछ राहत पहुँचा सकूँ तो हमारी सार्थकता सर्वोपरि होगी।
2. पुष्प की भाँति आपकी भी कोई अभिलाषा होगी। उन्हें दस वाक्यों में लिखिए। .
उत्तर: पुष्प की भाँति मेरी भी अभिलाषा है कि.-मैं भी देश-रक्षार्थ देश का सिपाही बनें । मेरे शरीर का एक-एक बूंद देश की रक्षा में लगे । हम अपने देश के गौरव को बढ़ावें । हम अपनी मातृभूमि के सम्मान को बढ़ावें । भारत माता को कलंकित करने वालों के सिर को कुचल डालें । देश-प्रेम को छोड़कर तुच्छ मानव के प्रति हमारे प्रेम न हो। जब-जब मैं जन्म लूँ, मातृभूमि की रक्षा करते हुए मरूँ। इससे ही जन्म सफल होता है। अतः भगवान से मेरी प्रार्थना
हे हरि, देश धर्म पर मैं बलि-बलि जाऊँ।
अर्थात् मातृभूमि के रक्षार्थ मैं बार-बार बलिदान हो जाऊँ।
व्याकरण –
1.भाग्य शब्द के पहले सौ उपसर्ग लगाकर सौभाग्य शब्द बनता -है। इसी प्रकार नि, दुः अन् उपसर्ग लगाकर दो-दो शब्द बनाइए।
उत्तर:
नि = निहत्था, निशान ।
दुः = दुष्कर्म, दुश्मन ।
अन् = अनावश्यक, अनुत्तीर्ण ।
कुछ करने को –
1.कल्पना के आधार पर इस कविता से सम्बन्धित एक चित्र बनाइए।
उत्तर:
चित्र बनावें।
2. मातृभूमि या देश-प्रेम से सम्बन्धित अनेक कवियों ने कविताएँ लिखी हैं। उनकी कविताओं को खोज कर पढ़िए और अपनी कक्षा में सुनाइए।
उत्तर: देशगान सुनायें।
कविता का अर्थ –
चाह नहीं मैं सुरवाला के ………………….. विंध प्यारी को ललचाऊँ।
अर्थ – हे प्रभु ! हमारी चाह देव कन्याओं के गहनों में गूंथा जाना नहीं है और प्रेमी के माला में गूँथाकर प्रेमिका को ललचाने की चाहत भी नहीं है।
चाह नहीं सम्राटों ………………….. भाग्य पर इठलाऊँ।
अर्थ – हे हरि ! सम्राटों के शव (मृत शरीर) पर डाले जाने की चाहत भी मुझे नहीं है तथा देवताओं के सिर पर चढ़कर अपने भाग्य पर गर्व करूँ, ऐसी अभिलाषा भी मेरी नहीं है।
मुझे तोड़ लेना ………………….. जाएँ वीर अनेक॥
अर्थ – हे वन माली ! मेरी अभिलाषा है कि-मझे तोड़कर उस पथ पर फेंक देना, जिस पथ पर मातृभूमि की रक्षार्थ अनेक वीर पुरुष जाते हैं।
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