Class 8 hindi chapter 4 question answer Bihar board 

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प्रश्न – अभ्यास

पाठ से-

1. बालगोबिन भगत गृहस्थ थे । फिर भी उन्हें साधु क्यों कहा जाता था ?

उत्तर — बालगोबिन बेटा – पोहु वाले गृहस्थ थे लेकिन उनका आचरण साधु जैसा था । साधु आडम्बरों या अनुष्ठानों के पालन के निर्वाह से नहीं होता । यदि कोई जटाजुट बढ़ा लें तो साधु नहीं हो सकता । वस्तुतः साधु वह है जो आचरण में शुद्धता रखता है । बालगोबिन भगत को दिनचर्या कर्तव्यनिष्ठता और आत्म ज्ञान उन्हें साधु बना दिया था ।SVM CLASSES SPECIAL BIHAR BOARD

2. भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएं किस तरह व्यक्त की ?

उत्तर – भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर विलाप नहीं करते दिखे । बल्कि मग्न हो गीत गा रहे थे उनकी भावना का वह चरम – उत्कर्ष था । वो अपने पतोहु से कहते थे – आनन्द मनाओ । एक आत्मा परमात्मा से मिल गया । उनकी भावना थी कि मृत्यु के बाद आत्मा – परमात्मा से मिल जाता है जो आनन्ददायक बात है । इस भावना को वे संगीत से तथा पोहु को यथार्थता का ज्ञान देकर भावना को व्यक्त कर रहे थे ।

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3. पुत्र – वधु द्वारा पुत्र को मुखाग्नि दिलवाना भगत के व्यक्तित्व की किस विशेषता को दर्शाता है ?

उत्तर – विवाह के बाद पति पर पली का सबसे अधिक अधिकार है । पत्नी का भी कर्तव्य सबसे अधिक पति के प्रति ही होता है । गृहस्थ आश्रम में दोनों एक – दूसरे के पूरक हैं । अत : पतोहु को सबसे बड़ा अधिकारी मान उसी से मुखाग्नि दिलवाया । यह कार्य भगत के व्यक्तित्व की सच्चाई और महानता को दर्शाता है ।

 

प्र.4 निम्नलिखित अनुच्छेद के आधार पर आगे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए

क) बालगोबिन भगत ने पतोहु से बेटे को आग क्यों दिलाई?

उत्तर – क्योंकि भगत जी का कहना है । पतोहु का सबसे बड़ा अधिकार मानकर भगत ने पदों से बेटे को अग्नि दिलाई।

 

ख) पतोहू के रोने पर भी भगत का निर्णय क्यों नहीं बदला।

उत्तर- बालगोबिन भगत को लगता था कि पतोहू यही रही तो उसका जीवन ऐसा ही बित जाएगा इसलिए पतोहु को रोने पर भी भगत ने निर्णय नहीं बदला।

 

ग) पतोहू बालगोबिन भगत को छोड़कर जाना क्यों नहीं चाहती थी।

उत्तर -पतोहू बालगोबिन भगत जी से कहती है मैं चली गई तो बुढ़ापे में कौन आपके लिए भोजन बनाएगा। बीमार पड़े तो खून आपको चुल्लू भर पानी भी देगा । इसीलिए पतोहु बालगोबिन भगत को छोड़कर जाना नहीं चाहती थी।

 

घ) बालगोबिन भगत ने आखिरी दलील क्या दी?

उत्तर- तू जा नहीं तो मैं भी इस घर को छोड़कर चल दूंगा। यह बालगोबिन भगत की आखरी दलील थी।

 

च) चुल्लू भर पानी का अर्थ बताइए।

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पाठ से आगे–

1. “ धर्म का मर्म आचरण में है , अनुष्ठान में नहीं ” स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर – बालगोबिन भगत साघु थे लेकिन साधु जैसा वेश – भूषा नहीं था । आचरण की पवित्रता और दिनचर्या से वे साधु ही धे । गृहस्थ होकर भी साधु जैसा आचरण ही धर्म का मर्म है न कि साधु जैसा आडम्बर करके ।

2. बालगोबिन भगत कबीर को “ साहब ” मानते थे । इसके क्या – क्या कारण हो सकते हैं ?

उत्तर – बालगोबिन कबीर पंथी होंगे । वे कबीर के पद से अधिक प्रभावित होंगे । भगत जी आडम्बर से दूर रहकर मानव सेवा में विश्वास रखते होंगे । कबीर के आदर्श को बालगोबिन भगत मानते होंगे । इसीलिए वे कबीर को ही अपना ” साहब ” मानते थे ।

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3. बालगोबिन भगत ने अपने पुत्र को मृत्यु पर भी शोक प्रकट नहीं किया । उनके इस व्यवहार पर अपनी तर्कपूर्ण प्रतिक्रिया व्यक्त कीजिए ।

 

उत्तर — बालगोबिन भगत अपने पुत्र के मृत्यु पर भी शोक प्रकट नहीं किया । उनका यह व्यवहार हमारे विचार से सत्य था । मृत्यु प्राणी को जन्म प्रदान करता है । फिर मृत्यु से शारीरिक कष्ट भी तो दूर होता है । अतः मृत्यु पर शोक करना अज्ञानता ही तो है । क्या मृत व्यक्ति के प्रति हजारों वर्ष तक शोक किया जाय तो वह लौट सकता है ? कदापि नहीं ।

 

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4. अपने गाँव – जवार में उपस्थित किसी साधु का रेखाचित्र अपने शब्दों में प्रस्तुत करें ।

उत्तर – हमारे गाँव में एक साधु रहते हैं । बिल्कुल साधु रूप स्वभाव आचार – विचार सब में साधु । सुना गया कि कुछ साल पूर्व सम्भवतः 40-50 वर्ष पूर्व हमारे गाँव में आकर एक मंदिर में डेरा डाला । लोग उन्हें साधु – बाबा कहकर सम्मान देते हैं । साधु बाबा को कभी हमने गुस्सा या नाखुश नहीं देखा । हंसते हुए सारी समस्याओं को निदान वे कर देते हैं । किसी के घर में कलह झगड़ा – झंझट हो साधु बाबा तुरन्त सुलझा देते हैं । भोजन के लिए भिक्षाटन या किसी से याचना नहीं करते । गाँव के लोग उनके भोजन का प्रबन्ध स्वयं कर देते हैं ।

प्रातः स्नान पूजा वे सम्भवत : 5 बजे प्रातः तक कर लेते । इसके बाद गाँव के गली – गली में जाकर गीत गाते हुए गुजरते हैं ।

” उठ जाग मुसाफिर मोर भई , रैन गई क्यों सोवत है ” की आवाज सुनते बाल – युवा – वृद्ध सभी उठकर अपने – अपने काम में लग जाते हैं ।

किसी के बारे में जब साधु – बाबा को पता चलता है कि रोग से पीड़ित हो गया है तो साधु बाबा इलाज के लिए प्रबन्ध करते हैं और उन्हें अस्पताल तक ले जाते हैं । उसका समुचित इलाज करवाते हैं ।

उनके माध्यम से जाने पर इलाज में डॉक्टर भी कोताही नहीं करते । पंचायत में भी उनकी भूमिका निर्णायक माना जाता है । इसे जो कहा सबके लिए मान्य है । धन्य हैं साधु बाबा जिनके कारण हमारे गाँव के लोग बड़े खुश एवं सम्पन्न हैं । किसी को कोर्ट – कचहरी नहीं जाना पड़ता है ।

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5. अपने परिवेश के आधार पर वर्षा – ऋतु का वर्णन करें ।

उत्तर – हमारे गाँव नदी के किनारे बसा है । गाँव के तीनों ओर झील हैं । जब वर्षा ऋतु आता है तो हमारे गाँव के चारों ओर पानी ही पानी दिखाई देता है । लोगों को बड़ी परेशानी होती है । गाँव में साग – सब्जी की कमी हो जाती है । सबसे अधिक जलावन की दिक्कत गाँव में होती है ।

जब वर्षा ऋतु आती है तो लोग गाँव से बाहर धान रोपने के लिए निकल जाते हैं । गाँव से अधिक खेतों में लोग दिखाई पड़ते हैं । जब वर्षा होती रहती है तो गाँव थमा जैसा लगता है । अधिक वर्षा से गाँव वालों को बड़ी हानि उठानी पड़ती है ।

6. अब सारा संसार निस्तब्धता में सोया है , बालगोबिन भगत का संगीत जाग रहा है , जगा रहा है । ” व्याख्या कीजिए ।

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Ans– प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारे पाठ्यपुस्तक ” किसलय भाग -3 ” के ” बालगोबिन भगत ” पाठ से संकलित है । इस पाठ के लेखक ” रामवृक्ष बेनीपुरी ” जी हैं । यह पाठ एक ” रेखाचित्र ” है ।

बालगोबिन की संगीत साधना गर्मी हो या वर्षा सदैव चलता रहता था । भादो को रात में भी चाहे वर्षा होती रहे या बिजली की करकराहट रहे । यहाँ तक मेढ़क की टर्र – टर्र आवाज भी बालगोबिन के गीत को प्रभावित नहीं कर पाती । आधी रात में उनका गाना सबों को चौका देता । जब सारा संसार निस्तब्धता में सोया है । बालगोबिन भगत का संगीत जाग रहा है , जगा रहा है ।

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7. रूढ़ीवादिता से हमें किस प्रकार निपटना चाहिए ? किसी एक रूढ़ीवादी परम्परा का उल्लेख करते हुए बताइए कि आप किस प्रकार निपटेंगे ?

 

उत्तर – रूढ़ीवादिता हमारे समाज के लिए अभिशाप है । इससे निपटने के लिए हमें दृढ़ संकल्प होना चाहिए । हमारा समाज रूढ़ीवादिता से संक्रमित है जिसके कारण समाज के लोगों का जीवन कठिनाइयों से भर जाता है । उदाहरण में किसी के मरने पर खूब भोज करना हमारे विचार से उचित नहीं ।

कोई गरीब का बाप मर जाता है तो गाँव के लोग उसे भोज करने को विवश कर देते हैं । परिणामस्वरूप निर्धन व्यक्ति कर्ज लेकर भोज करते हैं । फिर वे महाजन के चंगुल से निकलने के लिए वर्षों दुःख झेलते हैं । क्या जरूरत है कर्ज लेकर भोज करने की । हम अपने गाँव में रूढीवादिता से होने वाले नुकसान का ज्ञान कराकर लोगों को रूढीवादिता से दूर करने का प्रयास करेंगे ।

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इन्हें भी जानिए

 

1. योजक चिह –

 

( क ) माता – पिता , लड़का – लड़की , पाप – पुण्य जिन पदों के दोनों खंड प्रधान हो , वहाँ योजक चिह्न लगाया जाता है ।

( ख ) ऊपर – नीचे , माता – पिता , पाप – पुण्य , भाई – बहन दो विपरीतार्थक शब्दों के बीच योजक चिह्न लगाया जाता है ।

( ग ) उल्टा – पुल्टा , अनाप – शनाप , रोटी – वोटी जब दो शब्दों में से एक सार्थक और दूसरा निरर्थक हो तो वहाँ योजक चिह्न का प्रयोग होता है ।

इस पाठ में प्रयुक्त वैसे शब्दों का चयन कीजिए जो योजक चिह्न से जुड़े हों एवं उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए ।

2. उद्धरण चिह्न का प्रयोग : जहाँ किसी पुस्तक से कोई वाक्य ज्यों – का – त्यों उद्धृत किया जाय वहाँ दुहरे उद्धरण चिह्न ( ” ” ) एवं जहाँ कोई विशेष एवं पुस्तक , समाचार पत्र , लेखक का उपनाम , शीर्षक इत्यादि उद्धृत किया जाय वहाँ इकहरे उद्धरण चिह्न ( ) का प्रयोग होता है । जैसे-

” जीवन विश्व की संपत्ति है । ” – जयशंकर प्रसाद ‘ कामायनी ‘ की कथा संक्षेप में लिखिए ।

‘ निराला ‘ पागल नहीं थे ।

‘ हिन्दुस्तान ‘ एक हिन्दी दैनिक पत्र है।

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3. रेखाचित्र — जब किसी व्यक्ति , वस्तु , स्थान , घटना , दृश्य आदि का इस प्रकार वर्णन किया जाय कि पाठक के मन पर उसका हू – ब – हू चित्र बन जाये तो उसे रेखाचित्र कहते हैं । यथा ‘ बालगोबिन भगत ‘ पाठ का पहला अनुच्छेद । रेखाचित्र में किसी साधारण पात्र की असाधारण विशेषताओं को किया जाता है ।

 

व्याकरण–

 

1. इस पाठ में प्रयुक्त वैसे शब्दों का चयन कीजिए जो योजक चिह्न से जुड़े हों एवं उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए ।

 

उत्तर –

लगौटी – मात्र बालगोबिन भगत लगौटी – मात्र धारण करते थे ।

साफ – सुथरा – मकान को साफ – सुथरा रखना चाहिए ।

दो – टुक वह हमेशा दो – टुक बात करता है ।

कभी – कभी — बालगोबिन भगत गाते – गाते कभी – कभी नाच उठते थे ।

सदा – सर्वदा – हमें सदा – सर्वदा पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए ।

पानी भरे – पानी – भरे खेत में वे काम करते दिखते थे ।

स्वर – तरंग — बालगोबिन भगत के स्वर – तरंग लोगों को तुरन्त आकर्षित कर लेता था ।

टर – टर्र – मेढ़क की टर – टर्र वर्षा ऋतु में सुनाई पड़ता है ।

डिमक – डिमक – बालगोबिन भगत की खंजरी डिमक – डिमक बज उठती थी ।

गाते – गाते – वह गाते – गाते मस्ती में नाचने लगते थे ।

बार – बार – भगत के सिर पर से कमली बार – बार खिसक जाता था ।प्रेम – मंडली – बालगोबिन के प्रेमी – मंडली उनके गायन में साथ देता था ।

धीरे – धीरे – धीरे – धीरे लोग वहाँ आ गये ।

गंगा – स्नान – गंगा – स्नान से पुण्य होता है ।

संगीत – साधना — बालगोबिन भगत की संगीत – साधना निर्मल थी ।

 

2 . इस पाठ में आए दस क्रिया – विशेषण छाँटकर लिखिए ।

 

उत्तर -.( i)दो – टुक बात करना ।

( ii ) चहक उठना ।

( iii ) खाम – खाह झगड़ा ।

( iv ) चमक उठना ।

( v ) बच्चे का उछलना ।

( vi ) धीरे – धीरे स्वर ।

( vii ) खेलते बच्चे ।

( viii ) गंगा स्नान ।

( ix ) डिमक – डिमक बजना

 

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